हर लड़की की व्यथा
हर लड़की की व्यथा
व्यथा बताऊँ मैं आज यहाँ
हरेक लड़की की।
जो है कुछ ऐसी
जो है कुछ अलग
लड़की शोषित हुई जरूर
जीवन में कभी ना कभी
मनोबल तोड़ा है सब ने
जीवन मे कहीं ना कहीं
कभी अपनो ने कभी परायों ने
बहुत टूटी है लड़की
कभी घर में तो कभी बाजार में
खुद से ही लज्जित हुई है।
कुछ बिखरी तो कुछ सम्भ्ली
आत्महत्या करती रही है।
कभी मन का तो कभी तन का
ऐसे ही मरती रही है लड़की।
