हर कोई नहीं होता
हर कोई नहीं होता
कुछ कमी नहीं थी अपने घर में
पर कुछ खल रहा था दूूसरे घर में
बेरोजगार जो था हमसफर उसका
काम में बिलकुल मन न था जिसका।
बहुत बड़ा परिवार मिला था अब
व्यस्त दिनचर्या सी बन गई थी अब
चाहकर भी वह कुछ कर न पाती थी
भिन्न कुछ करनेे पर सास सुुनाती थी।
११ छोटी कन्याओं का वो परिवार था
सास को अब एक पोतेे का इंतजार था
दो बहुवें थी साथ में ही वो छोटी थी
बड़ी तेज तर्रार नियत की बड़ी खोटी।
चली गई थी बड़ी घर का जिम्मा छोड़
असहाय सास और पूरा परिवार को तोड़
रहना नहीं चाहती थी वह साथ मिलकर
छोटी ने उठाया कदम और रही खिलकर।