होली के प्रकार
होली के प्रकार
होरी खेलें तीन तरह की, कौ तेरे मन भाय
मिलन करावै साँवरिया ते, बू मोहे हरषाय
पहली होरी नेह सुवासित, काटत उर कौ मैल
रंग डारौ मानव कूँ मानव, मिले शान्त सुख गैल
ब्रज आँगन की यही लाडली, प्रेम अमिय बरसाय
होरी खेलें तीन तरह की, कौनसी मन कूँ भाय
मिलन करावै साँवरिया ते, बू मोहे हरषाय
दूजी होरी कसक ठसक की, मन की हरती पीर
कायर कौ शृंगार करे या, ओटक छोड़ें तीर
पटक झटक या दिना करें वे, और दिना ना पाय
होरी खेलें तीन तरह की, कौनसी मन कूँ भाय
मिलन करावै साँवरिया ते, बू मोहे हरषाय
तीजी होरी काम व्यसन की, छेड़छाड़ की छूट
नारि दिखे, तौ नंगौ नाच हो, लै मदिरा की घूँट
रोक-टोक जो करे पिटत बू, लेओ भलै आजमाय
होरी खेलें तीन तरह की, कौनसी मन कूँ भाय
मिलन करावै साँवरिया ते, बू मोहे हर्षाय।
