हमने किसी को आज़माया नही
हमने किसी को आज़माया नही
हमने किसी को आज़माया नही,
प्यार है उनसे उनको बताया नहीं,
इश्क पाने की चाहत थी बहुत पर,
हमने ऑखों से कभी जताया नहीं।
दिल करता है बस उन्हें सोचते रहे,
सोचते रहे जिसे उसे कभी पाया नहीं।
किस्मत की लकीरें रूठ गई मुझसे,
जिसे महसूस किया वो आया नही ।
बुलाते रहे ख्वाबों में रात दिन उनको,
ख्वाहिश अधूरी रही उसे पाया नही।
आना ना आना मर्जी थी उनकी ......
साथ देने का वादा कभी निभाया नही।
रोये बहुत हम याद कर उनको रातों में,
जमाने की नजर में अश्क एक बहाया नही।
धूप छाँव सी बन गई है जिदंगी मेरी अब,
खुदा ने शायद उनको मेरे लिये बनाया नहीं।
दिल की ज़िद वो कहाँ मानने को तैयार,
पर खुदा ने मेरे महबूब से मिलाया नही।
कारवां गुज़र गया तन्हा हम रह गये ....,
अपने सपनों में जीते रहे वक्त गंवाया नहीं।
अनजान अनचाहे रास्ते पर निकल पड़े,
सफलता के लिये संघर्षो को अपनाया नहीं।
जिन्दगी सरल है पर उतनी ही विरल भी,
आग नफरत की दिल में पर जलाया नही।।
इश्क था बेपनाह इश्क की अर्जी लगाई,
ख़ुदा को ये मंजूर ना था उन्हें सताया नहीं।
अपनी दास्ताँ दिल के दरवाजे में क़ैद की ,
दिल की गलियों में दिल को बिखराया नहीं। ।