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Swapnil Saurav

Drama

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Swapnil Saurav

Drama

हमारे नेता और चुनाव

हमारे नेता और चुनाव

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बन रहा है साधू अब तक था जो चोर

कर रहा है धूमधाम मचा रहा है शोर

उलटे सीधे वादो का पीट रहा है है ढोल

इस बार फिर से बना रहा है झूठ का पोल।


सड़क बिजली पानी सब हो गया है गोल

बस रह गया है नेताजी के झूठे बोल

इस बार फिर से नए ख्वाब दिखाकर रचा रहे है ढोंग

पिछले चुनाव के वादों का नहीं रहा अब कोई मोल।


मंहगाई और लोगों कि परेशनी से मुँह मोड़

रिश्वत, काले धन और घोटालों से नाता जोड़

अपने लोग जिसने चुना था, उनसे नाता तोड़

करने को चमचागिरी हाई कमांड के तरफ लगते है दौड़।


फिर चुनाव आया है हर तरफ हैं

झूठे वादों का माहौल

सारे नेता उछाल रहे है कीचड़,

शुरू हो गया है आरोपों का दौर।


जनता के गमों को कुरेद रही है,

लगा रहे हैं नमक मिर्च का झोर

देश को लूटने के लिए हो रही है

ताल मेल और गठजोड़।


जनता जाग गयी है समझ गयी है क्या है झोल

अब नहीं बैठेंगी अब यूँ ही मौन

बेखौफ होकर अब वोट करेंगे हर चीज़ तोल

क्योंकि पहचान गए हैं अपने एक वोट का मोल।।


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