हमारा खून
हमारा खून
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वे जमीन लूट रहे हैं
घर से बेदखल कर रहे हैं
कह रहे हैं-
इसका नाम ही विकास
वे जंगल और पहाड़ों से
खदेड़ रहे हैं।
वैसे बन्जार देशों में
जहाँ खेती का ठिकान नहीं
जंगल से पेड़ काटने की
आवाज लगातार आ रही है।
अरे वो विनाश के ठेकेदार
होशियार
पेड़ -लत्ताओं से
निकल रहा है
हमारा ताजा खून।