हम तुम्हारे हुए
हम तुम्हारे हुए
नज़र ही नज़र में हमारे हुए हैं
ज़माना कहे हम तुम्हारे हुए हैं
ज़रूरत नहीं है किसी की हमें अब
तिरे ख्वाब से निखारे हुए हैं
ज़माना खिलाफ़त करे आज कल तो
भँवर से उलझकर किनारे हुए हैं
बिखरकर सँवर से रहे हम सखे हैं
प्रिये जिंदगी के सहारे हुए हैं
हरकते समझ से परे साथिया हैं
रुहानी तिरे कुछ इशारे हुए हैं
कहे तो भला क्या सखे ढूंढ़ते हैं
मुझे एकटक जो निहारे हुए हैं
बिन कहे बिन सुने चले साथ में अब
खुली बांह रख पुकारे हुए हैं..
निभाने सखे प्रेम के रब्त को अब
सखे थाम मुझको सँवारे हुए हैं।