हम ठहर गए हैं
हम ठहर गए हैं
अब क्या हाल पूछना,घाव तो मेरे भर गए हैँ,
तुम को देखने के सारे अरमान भी मर गए हैँ।
ऑंखें भी सूर्ख गुलाबी हैं आँसू भी सूखें हैँ,
सजने -संवरने के चाव भी मन में हर गए हैं।
मोहब्बत की गुफ़्तगू हम को न रास आई,
चेहरे पर के सारे कोमल भाव झर गए हैं ।
घर से भी बाहर हुए न ही घाट पर जा पाए,
दर से बेदर हो कर अब तो बेघर कर गए हैं ।
तेरे आने की खबर का बहुत इंतजार किया,
अब इंतजार करते करते हम ठहर गए हैं।