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Vivek Netan

Romance

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Vivek Netan

Romance

हम मुमिन से काफिर बन गए

हम मुमिन से काफिर बन गए

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दर्द ज़िंदगी के कुछ इस कदर बढ़ गए 

कभी गीत तो कभी गजल बन गए 

जब से निकाल फेंका आप ने दिल से 

बस उसी दिन से हम मुहाजिर बन गए ।


बुतों की इबादत की मैंने इक दौर तक 

असर यह हुआ के हम भी पत्थर बन गए 

इस कदर धोखेबाज निकले खुदा मेरे 

के अब हम मुमिन से काफिर बन गए।


खिले थे जो फूल तेरी सोहबत में कभी 

बिछड़ के तुमसे सब पतझड़ में झड़ गए 

यूँ रोए बो हालातों का रोना सब का सामने  

के जाते जाते भी मुझे बेआबरू कर गए।


हंस हंस के टाल दिए सब गिले मेरे 

हम सब समझ के भी नासमझ बन गए 

जरा से क्या आ गए राहे इश्क़ में कांटे 

मुँह फेर के बो फिर अजनबी से बन गए। 


जी तो लेंगे हम फिर भी तेरी रजा में 

कभी आशिक थे तेरे अब सौदाई बन गए 

उठो "नेतन" खत्म हो गई यह महफ़िल 

जो साथ बैठे थे बो सब अपने घर गए। 


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