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Vivek Gulati

Abstract Tragedy Inspirational

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Vivek Gulati

Abstract Tragedy Inspirational

हम होंगे कामयाब

हम होंगे कामयाब

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सहमी सी हवा, घबराया सा आसमान

कैसी यह बीमारी, जन-जन परेशान।

जिस बीमारी के नाम में ही है ' रोना ' 

उसके वार से बचा नहीं देश का कोई कोना।

भरा-पूरा देश, तहस-नहस हुआ जन- जीवन

दवाइयों की छोड़ो, यहां मिलता नहीं ऑक्सीजन।


' दिल ' पर बेशुमार शायरी, बनी फिल्में अनेक

इस बीमारी ने बताया, फेफड़े हैं नंबर एक।

हर घर मुहल्ले में छाया बरबादी का मंजर

इस मौके को भुनाने का भी, पाया कुछ ने हुनर।


जरूरत की दवाइयों की बड़ी किल्लत और कीमत

हत्यारों जैसी हुई जमाखोरों की नीयत।

वोट के चक्कर में खाली कर दी तिजोरी

बुनियादी जरूरतों के लिए बची नहीं कौड़ी।

खाली जेब, दुखी मन, अनिश्चिता का साया है

अब श्मशान भर चुके, हर शख्स घबराया है।


पर सब कुछ नहीं खोया, अभी इंसानियत बाकी है

महामारी के खिलाफ, फरिश्तों ने जंग छेड़ी है।

अपनी सुध भूल, झोंक दिया इस लड़ाई में

निस्वार्थ सेवा भाव से, जुट गए लोगों की भलाई में।

डॉक्टरों और इन सेनानियों से हम प्रेरणा लेंगे

आगे से हर आपदा का मिलकर मुकाबला करेंगे।


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