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Vivek Gulati

Abstract

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Vivek Gulati

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मुस्कुराहट

मुस्कुराहट

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मुस्कराहट ख़ुश कर देती, 

आशा जगाती...दिल को भाती |


क्या वो दिल से है निकली,

या यह मुस्कुराहट है नक़ली |


कई ग़म है छुपाती,

दिल का हाल बताती |


व्यक्तित्व को आकर्षक बनाए, 

चेहरे को चार चांद लगाए,

क्या वह पलटेगी और मुस्कुराएगी,

इसी में जवानी ही निकल जाए |


कोई  इससे अपना उल्लू सीधा करवाए,

मुस्कुराहट ऐसी भी, जो आप को रुलाए |


पत्थर पिघलाए, बिगड़ी बात बनाए,

जादू है इसमें, अँधेरा भी दूर भगाए |


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