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Vivek Gulati

Abstract Inspirational

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Vivek Gulati

Abstract Inspirational

आज

आज

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बुरी खबर की आहट जब सताती है,

ज़िंदगी की सच्चाई समझ आती है |


खुली आँख से देखे सारे सपने टूट जाते हैं,

पाँव जब वास्तविकता की ज़मीन से टकराते हैं | 


रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उलझे रहे,

अपनी ख्वाहिशें स्थगित करते रहे, 

कल के चक्कर में आज गवाँ दिया 

ज़िंदगी...ये तूने कैसा सिला दिया |


थोड़ा ठहराव अब ज़रूरी है,

अपनों के बिना ज़िंदगी अधूरी है 

नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाओ,

मन-मुटाव भूल कर गले लगाओ |


आगे क्या है किस्मत में, किसको पता,

आज में जियो, भविष्य तो बस है जुआ |


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