STORYMIRROR

Vivek Gulati

Abstract Inspirational

4  

Vivek Gulati

Abstract Inspirational

फ़र्ज़

फ़र्ज़

1 min
7


कर्तव्य पालन हो जिसका *ध्येय*,

एक चरित्रवान व्यक्ति का है *परिचय*|


परिवार, समाज और देश के प्रति समर्पित इंसान,

हर मोड़ पर देता इम्तिहान |


जितनी कठिन होती है राह जीवन की,

हीरे की तरह तराशा जाता है व्यक्तित्व भी |


अंत तक जो खड़ा रहा मज़बूती से, 

सफलता चूमती है *मस्तक* उन्ही के |


अक्सर भारी पड़ती है फ़र्ज़ निभाने की क़ीमत,

मुस्कुरा कर करते हैं सामना... कैसी भी हो मुसीबत |


पीठ पीछे होती है जिनकी बढ़ाई,

असली *पूंजी वही है*... बाक़ी सब अस्थाई |


फ़र्ज़ निभाते हुए *अनगिनत हुए* शहीद,

बहादुरी की मिसाल बने...देश हुआ उनका मुरीद |


हम इन विशिष्ट *विभूतियों* को करें नमन,

करके उनका अनुसरण...*समृद्ध बनाएं वतन*|


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract