फ़र्ज़
फ़र्ज़
कर्तव्य पालन हो जिसका *ध्येय*,
एक चरित्रवान व्यक्ति का है *परिचय*|
परिवार, समाज और देश के प्रति समर्पित इंसान,
हर मोड़ पर देता इम्तिहान |
जितनी कठिन होती है राह जीवन की,
हीरे की तरह तराशा जाता है व्यक्तित्व भी |
अंत तक जो खड़ा रहा मज़बूती से,
सफलता चूमती है *मस्तक* उन्ही के |
अक्सर भारी पड़ती है फ़र्ज़ निभाने की क़ीमत,
मुस्कुरा कर करते हैं सामना... कैसी भी हो मुसीबत |
पीठ पीछे होती है जिनकी बढ़ाई,
असली *पूंजी वही है*... बाक़ी सब अस्थाई |
फ़र्ज़ निभाते हुए *अनगिनत हुए* शहीद,
बहादुरी की मिसाल बने...देश हुआ उनका मुरीद |
हम इन विशिष्ट *विभूतियों* को करें नमन,
करके उनका अनुसरण...*समृद्ध बनाएं वतन*|
