हक़ीक़त
हक़ीक़त
वो कौन है दुनिया में जो मजबूर नहीं है
ख़ुशिया हैं मयस्सर किसे रनजूर नहीं है
हंस हंस कर कहे जाता है वो हुुुस्न का पैकर
आशिक पे करम हुस्न का दस्तूर नहीं है
मंज़ूर हर इक नाज़ तेेेेरा हमेे है लेकिन
तू किसी और का हो जाए यह मंज़ूर नहींं है !

