हिंदी
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किताबों तक ही ना थम जाए इस भाषा की पहचान
राष्ट्र नहीं मातृ नहीं भाषा नहीं हिंदी मेरे भाव की पहचान
अ,आ ,इ से अः तक, क,ख ,ग से ज्ञ तक
स्वर के सुर, व्यंजन के व्याख्यान
हिंदी में समाया सदियों का सांसारिक व आध्यात्मिक ज्ञान।
गंगा यमुना का संगम, मन के भावों का वर्णन
हिंदी में घुला हो जैसे अभिव्यक्ति का दर्पण
गीतों की हो कोई माला या बचपन की पाठशाला
हिंदी में कितने अद्भुत लगे गुप्त व निराला ।