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Amit Chauhan

Abstract Fantasy

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Amit Chauhan

Abstract Fantasy

हे जगतनियंता

हे जगतनियंता

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हे जगतनियंता

आपकी समक्ष कुछ विचार पेश करना चाहता हूँ 

सुनो, पहले मैं सोचता था की बाजार निकम्मा है

हाँ, पहले सोचता था की बाजार निकम्मा है

अब सोचता हूँ की नही; बाजार निकम्मा नही है 

बल्कि बाजार में बैठे हुए लोग निकम्मे हैं

चीजो के दाम तय करनेवाले निकम्मे हैं

एक दफा किसी को भी एसा ही लगेगा की बाजार निकम्मा है!

सोफ्टवेयर डेवलपर्स से मेरी एक गुजारिश है की कुछ करो, 

कोइ एसा सोफ्टवेयर बनाओं की जिसके जरिये 

दुकानदार को नेक इन्सान बनाया जाए

जल्द से जल्द पहुंच जाओ दुकानो में 

दुकानदार की सिर की टोपी उतारो ,

बाल काटो और जितनी जल्दी हो सके

नेकी का सोफ्टवेयर इनस्टोल कर दो।



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