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Taj Mohammad

Abstract Tragedy

4  

Taj Mohammad

Abstract Tragedy

हे ईश्वर

हे ईश्वर

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हे ईश्वर...

क्या आप पृथ्वी पर आते हो,

सुना तो है कि आते हो...

पर आते हो तो किससे मिलकर जाते हो...


हमको भी...

आपके दर्शन करना है।।

दर्शन कर के आपसे...

कुछ कहना है।।


पूजा पाठ से तो भगवन आप कुछ ना सुनते हो।।

शायद मिलकर ही आप मेरी व्यथा को सुन लो।।


जाकर देखा...

मस्ज़िद में भी वहाँ भी ना मिलते हो।।

करके देखा प्रत्येक रविवार को चर्च में...

प्रार्थना वहाँ भी ना दिखते हो।।


आना जो पृथ्वी पर अब की तो दृस्टि डालना

पृथ्वी वासी पर।।

ना जानें कितना पाप लद गया हर

धरती वासी पर।।


मानव अपनी सारी...

मानवता को खो रहा है।।

कोई भी इंसान...

किसी भी इंसान का ना हो रहा है।।


संम्पूर्ण...

संसार में स्वार्थ निहित हो गया है।।

जीवन...

सभी का व्यर्थ विदित हो गया है।।


अब किसी मानव में निस्वार्थ प्रेम

ना बचा है।।

देखो जीवन के हर रिश्ते का एक दाम वस्तु

सा लगा है।।


हे ईश्वर...


आप कब पृथ्वी पर आओगे।।

कुछ तो संकेत दो कैसे अपने...

दर्शन कराओगे।।


अल्लाह बनकर आओगे या फिर भगवन बनकर आओगे।।

कुछ तो कहते है शायद जीजस बनकर

आओगे।।


क्या करना हमको चाहे जिस रूप में भी प्रभु तुम

आना।।

विनती है आकर अपने दर्शन जरूर

कराना।।


प्रत्येक स्थान पर नारी का सम्मान

खो रहा है...

सीधे सच्चों मानव का अपमान

हो रहा है...


अपने मन की पीड़ा मनुष्य किसे बतलाये।।

किसी भी भक्ति से ईश्वर तुझको मानव ना पाये।।


हे ईश्वर...


अब तो इस जीवन से मुक्ति दे दो...

प्रसन्न रहने की कोई युक्ति दे दो...


जब से आया हूँ पृथ्वी पर ऐसा ही जीवन

देखा है।।

क्या मेरे हाथों में ना कोई अच्छी भाग्य

रेखा है।।


हाँ इस दुनियां में केवल माँ ही इक ऐसी है।।

जो मुझको बिल्कुल ही तेरे जैसी दिखती है।।


अच्छा कृत्य करू या बुरा करू...

हर कृत्य में संग रहती है।।

तेरी रचना में बस इक वही...

सर्वोत्तम मुझको दिखती है।।


उसको सोच सोच कर हृदय मेरा व्यथित

हो जाता है।।

खुशियां देने की कोशिश करता हूँ पर उसको ना

दे पाता हूँ।।


कितना असहाय है जीवन मेरा हे ईश्वर यह तुमको बतलाना है।।

कैसे भी हो भगवन मेरे अब तुमको अपना दर्शन मुझको करवाना है।।


मुझ दीन हीन की सुन लो ईश्वर...

दया करो अबतो कुछ मुझ पर...


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