हे बनवारी कृष्ण मुरारी
हे बनवारी कृष्ण मुरारी
हे बनवारी क्रिष्ण मुरारी मेरे मोहन मुरलीवाले
अमरप्रेम दया के सागर तुम हो नटखट नयनोंवालें।।धृ।।
रास रचायी वृन्दावन में, प्रीत जगायी गोपियन में
भयी बावरी गोपिया सारी, बाँसूरीं की मिठी धून में
भूल ना जाना साँवरीया, तुम हो बडेही मतवालें
अमरप्रेम दया के सागर तुम हो नटखट नयनोंवालें............।।१।।
गैय्या चरायी मटकी फोडी, माखन बाटा कण-कण में
पतित पावन आशिष पाया, वृन्दावन की गलियन में
लिला देख तुम्हारी लिलाधर, प्रेम रंग से खिलनेवाले
अमर प्रेम दया के सागर तुम हो नटखट नयनोंवालें...............।।२।।
विराजमान हृदयासन पर, राधा के हर धडकन में
मोहमयी तुम साँस-साँस में, सुशोभित हर मनभावन में
राधारानी संग पावन, प्रेम शिखर पार करनेवाले
अमर प्रेम दया के सागर तुम हो नटखट नयनोंवालें..........।।३।।
मोर-मुकुट साजे मस्तक पे, छवी तेरी बसीं मेरे अखियन में
अधरो पर वो मंदस्मित से, फूल खिलायें जीवन में
पावन प्रणय की रीत संभाले, ओ मेरे बनवारी गोकुलवाले
अमरप्रेम दया के सागर तुम हो नटखट नयनोंवालें।।४।।
