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Manu Sweta

Tragedy

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Manu Sweta

Tragedy

हैवानियत

हैवानियत

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न जाने किस हैवानियत

पर आमादा है आदमी

बस आदमी को देखकर

खौफ में है हर आदमी


हर गली नुक्कड़ पर बैठे

शिकारी न जाने कितने

अपनों की घात में ही तो

बैठा है आदमी


कितने मासूमों को और

बनाएगा शिकार अपना

अब तो घर में अपने भी

महफूज़ नहीं है आदमी

यूँ सरे आम घूमते दरिंदे

यहाँ चारों ओर

और कितने पहरे

लगाएगा आदमी।



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