है देव् मुझे स्वीकार नहीं
है देव् मुझे स्वीकार नहीं
जिस पथ न सत के शूल चुभे
जिस पथ पे सब्र के खार नहीं
तब देव् संभालों अपना जीवन
यह जीवन है स्वीकार नहीं।।
जिस पल न देश की भक्ति हो
ना बाजू आत्म की शक्ति हो
जिस सिर पे आन की शिखा नहीं
वो अभिमानी सर स्वीकार नहीं
तब देव् सम्भालो अपना जीवन
यह जीवन है स्वीकार नहीं
माना किस्मत रूठी हो
उम्मीद नहीं पर छूटी हो
रहे सलामत हाथ जो मेरे
हमें भीख की हो दरकार नहीं
देव्,,,,,,,,,,
अपनी किस्मत हम खुद बदलें
धर्म यही सिखलाता है
कर्म करें बस राम भरोसे,
हम इतने भी लाचार नहीं
देव्,,,,,,,,,,,
मेहनत अपना गहना है
हमे मेहनत करते रहना है
न कहें आलस्य को हम
एक नहीं,सौ बार नहीं
देव्,,,,,,,,,,,,,
हम झुकते हैं प्रेम के आगे
नफरत से लड़ जाते हैं
प्रेम करें वशीभूत हमें,
हो नफरत का अधिकार नहीं
देव्,,,,,,,,,
