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अमित प्रेमशंकर

Tragedy

3  

अमित प्रेमशंकर

Tragedy

हाय रे विधाता

हाय रे विधाता

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हाय रे विधाता! तूने कैसा दिन दिखाया रे

दुख दर्द से हाल बुरा तुझे तनिक दया न आया रे

क्या कमी रह गई भक्ति में, क्यों हटा लिया साया रे

क्या कुकर्म किया था मैंने जो सजा असहनीय पाया रे

हाय रे विधाता! तूने कैसा दिन दिखाया रे।।


मिटा दिया संस्कार घर का वह, मिटा मोह और माया रे

बचपन से जिसे पाला मैं, वह समझा आज पराया रे

हाय रे विधाता तूने यह कैसा दिन दिखाया रे।।


गर हो गई कोई भूल हमसे जो तेरी बात समझ ना पाया रे

मर जाएंगे मेरे माँ बापू हो गई उनकी लथपथ काया रे

कुल वंश का लाज बचा ले, यह दास तेरे दर आया रे

हाय रे विधाता तूने कैसा दिन दिखाया रे।।

           


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