हाथों में हाथ
हाथों में हाथ
हाथों में हाथ होना एक विश्वास है
साथ में ले आता अपने कुछ ख्वाब है
जब पल में नजरें हो जाती है नीलाम
तब हाथों में हाथ का होता है आभास।
मेरे हाथों को तेरे हाथों का साथ सुहाता था
मुझे किसी सवाल का जवाब नहीं आता था
मुझे था पता कि मैं तुम्हें नहीं भाता था
नैनों में तेरे फिर भी मैं खो जाता था।
मेरे हाथों में हाथ तेरे और बीच में गुलाब था
सन सन और शर्मीली सर्द हवा का होना था
पता नहीं कि वो कौन-सा जहां था
हाथों में हाथ तेरे का जो प्यारा समां था।
मेरे हाथों की लकीरों में फकीरों का साथ है
मेरे हाथों में जकड़ी हुई जंजीरों का जाल है
मेरे हाथों की कलाई भी सूनी है बहना बिना
मेरे हाथों में हाथ रखने वाला नहीं था तेरे सिवा।
मेरे हाथों के जख्मों पर तेरा मरहम लगाना
मेरे हाथों में हाथ रख विश्वास जताना
मेरे हाथों में तेरा तन्मय होकर मेहँदी लगाना
मेरे हाथों में यह रंग काश हमेशा लगा रह पाता।
हाथों पर हाथ रखा था पर वो साथ छोड़ गया
बिन कारण रुठा और छेड़छाड़ कर गया
प्रणय की वेला में मेरे हाथों को जो साथ में जोड़ा
मेरे हाथों पर वो अपने हाथों की सिर्फ छाप छोड़ गया।