Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vivek Netan

Tragedy

1  

Vivek Netan

Tragedy

हाथो की लकीरों में कुछ नहीं

हाथो की लकीरों में कुछ नहीं

1 min
93


हर बार सोचा कह दूं कि जीने की तमन्ना नहीं 

पर तेरे पास आ के मेरे होंठ कुछ कहते नहीं ,

मरना अब आसान लगता है मुझे क्यों कि

अब जीने की तो तमना मुझ में बची ही नहीं ।


आसमान मेरे सर के ऊपर लेकिन क्या करें 

सूरज की एक भी किरण मेरी सर पर नहीं ,

साथी बना लिया था हमने रात को अपना 

मगर अब तो सितारे भी मेरा साथ देते नहीं। 


न तुम मिल सके और खुदा के हो न सके 

दोनों में से एक भी आज मेरे साथ नहीं, 

दोनों के ही दर थे बस एक ही गली में 

कहा पहले जाऊं बस यह सोच पाए नहीं ।


लड़ते ही रहे हम रोज अपने मुक़द्दर से 

मगर मुक़द्दर से हम जीत पाए ही नहीं ,

सोचा था कैद कर लेंगे थोड़ी सी खुशी 

फिर पता चला हाथों की लकीरों में कुछ नहीं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy