हारी नहीं है वो
हारी नहीं है वो
सब कहते हैं कि
हार गई है वो,
थक चुकी है अब,
डर गई है,
सहम गई है,
कुछ इस कदर गिरी है कि
दुबारा उठने की और लड़ने की,
हिम्मत ना जुटा पाएगी,
भूल जाएगी अपनी मंजिल को
और बदल देगी अपने रास्तों को।
मगर नहीं जानता कोई,
सिवाय उसकी अंतरात्मा के,
कि हारी नहीं है वो,
सिर्फ ठहर गई है,
कुछ वक्त के लिए,
चौगुनी हिम्मत से उठने के लिए,
अपने इरादे और बुलंद करने के लिए,
अपनी हार को जीत में बदलने के लिए,
अस्त हुई रोशनी को फिर उदय करने के लिए।
अब की बार जब वो उठेगी,
कोई ताकत उसे रोक ना पाएगी,
गिराना तो दूर,
झुका भी नहीं पाएगी।
और तब तक वह आगे बढ़ती रहेगी,
जब तक अपने आत्मविश्वास को
उजागर ना कर ले,
और अपने इरादों पर
फतह हासिल ना कर ले।
हारी नहीं है वो,
हारी नहीं है वो।।
