हाँ ! स्त्री हूँ मैं
हाँ ! स्त्री हूँ मैं
हाँ ! स्त्री हूँ मै !
ईश्वर की उत्कृष्ट कृति हूँ मैं
कभी माँ तो कभी पत्नी हूँ मैं
कभी बहन तो कभी बेटी हूँ मैं
कभी जन्मती तो कभी जन्माती हूँ मैं,
कभी हंसी तो कभी ख़ुशी हूँ मैं
कभी सुबह तो कभी शाम हूँ मैं,
कभी धुप तो कभी छांव हूँ मैं
कभी नर्म तो कभी गर्म हूँ मैं,
कभी कोमल तो कभी कठोर हूँ मैं .
कभी कली तो कभी फूल हूँ मैं
कभी चक्षु तो कभी अश्रु हूँ मैं
कभी ईश की हस्तलिप हूँ मैं
कभी ईश की प्रतिलिपी हूँ मैं
ईश्वर की उत्कृष्ट कृति हूँ मैं
हाँ ! स्त्री हूँ मैं !
