हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं
हे मात-पिता, आभारी हूँ मैं..
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।
फूलों सी कोमलता मुझमें..
फिर भी तेज़ कटारी हूँ मैं।
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
किरणों के संग आँखें खोलूँ..
देर रात तक काम में डोलूं,
हिम्मत कभी ना हारी हूँ मैं..
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
मन में चलता द्वंद्व है..
सोच मगर स्वच्छंद है।
नवजीवन संचारी हूँ मैं..
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं
नन्हा सा इक दिल रखती हूँ..
अरमानों को सिल रखती हूँ।
अपना घर-द्वार संवारी हूँ मैं..
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
ममता की इक मूरत भी हूँ..
क्षमता की इक सूरत भी हूँ,
निभाती ज़िम्मेदारी हूँ मैं..
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
एक पंथ सौ काज हूँ करती..
विपदाओं से कभी ना डरती।
इक तलवार दो-धारी हूँ मैं..
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मै।।
सबसे प्रेम - भाव से रहती..
सुख-दुख सारे हंस के सहती।
घर - परिवार की प्यारी हूँ मैं..
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
