सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी।। सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी।।
जौहर के ज्वाला में कूदी कभी हाथ में ली कटारी है जौहर के ज्वाला में कूदी कभी हाथ में ली कटारी है
न पकवान पाऊं मैं खा लूंगा रुखा न छोडूंगा मैं कर, हूं बेशक भिखारी।। न पकवान पाऊं मैं खा लूंगा रुखा न छोडूंगा मैं कर, हूं बेशक भिखारी।।
एक पंथ सौ काज हूँ करती.. विपदाओं से कभी ना डरती। इक तलवार दो-धारी हूँ मैं.. हाँ, इक गर्वित नारी ह... एक पंथ सौ काज हूँ करती.. विपदाओं से कभी ना डरती। इक तलवार दो-धारी हूँ मैं.. ह...