हालातों से मोहब्बत कर ली
हालातों से मोहब्बत कर ली
अपनी जिंदगी के हालातों को अल्फाज़ो में कैसे बयां करु
जो भी अनुभव मिला हालातों से वो कैसे विसरु
वो हालात बहुत कुछ सीखा गए मुझे
संघर्ष भी किया, समझौता भी किया तुझसे।
अब हालात-ए-हयात का ज़िक्र करने से क्या फ़ायदा
ऐसा होगा जैसे ज़ख्मों को बार-बार कुरेदना
अब तो अपने ख्वाबों की खुदकुशी कर ली है
हालातों की रस्सियों पर लटककर।
हर पल में खुशियां ढूंढ ली है मैंने
ज़िंदगी इतना धैर्य सीखा गई मुझे
अक्सर ना उम्मीद बन गई थी ऐसे हालातों से
मुँह तो नहीं फ़ेर सकती थी तो मोहब्बत ही कर ली उससे।
जितना लिखू उतना कम है
शायद मेरा सबसे बड़ा गम है
ऐसा ही सोचती रही मैं जब तक
औरो के बदतर हालात देखे नहीं थे।
मेरे हालातों ने जो ज़हर दिया
अमृत समझकर पी गये हम
ज़हर पीते तो शायद मर जाते
अब तो मरकर भी जी गये हम।
उन हालातों में खुदा ने मुझे गोद में लिया था
मेरे नहीं थे वो उसके ही कदमों के थे निशां
तू मत डर हालातों से रख तू हौसला
तू मत भूल है उसकी जो मर्ज़ी सिर्फ़ वही है होता।
रख तू यकीं उस खुदा पे
वो तेरे आसपास ही है कहीं पे
मान ले इन मुश्किलों को उसकी दुआ
गर अंधेरा है तो एक दिन होगी भी सुबह।