हालात मजदूरों की
हालात मजदूरों की
मत करो सियासत गरीबी पर उनकी
लाचार हैं सब और मजबूती उनकी,
सियासती से न मिलेगा कुछ उनको
इंतजाम करो कोई भूख की उनकी।
याद करो सब कुर्बानी संघर्ष के उनकी
ये शहर बसा है दम पर बसा उनकी,
जिस पथ को पसीने से सींचा था कभी
आज लथपथ है पांव के खून से उनके।
बात चुनावों की होती अभी सरकार की
छूट के खाने व शराब भी मिलते उनको
भूख से तड़प कर चले जा रहे हैं सब वो
आज सरकार भी खबर लेती नहीं उनकी।