Sanjay Pathade Shesh
Drama
निभे तो रिश्ते
और ना निभें तो ये
सिर्फ रिश्ते
पराया धन
नहीं होती बेटियाँ
घर की लक्ष्मी
बनते दूल्हा
माता-पिता को भूला
अलग चूल्हा
सबकी नानी
एक लंबी कहानी
हिम नदी सी
सबकी दादी
ससुराल पीहर में
कहीं ना आजादी।
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
पर जीवन में खुशियों की जब बारी है आती पर जीवन में खुशियों की जब बारी है आती
अगर अभावग्रस्त न होते तो किसी सामूहिक विवाह में चक्कर लगाते अगर अभावग्रस्त न होते तो किसी सामूहिक विवाह में चक्कर लगाते
वैसे तो सितारों से भरा हुआ है आसमान मिला वैसे तो सितारों से भरा हुआ है आसमान मिला
माना की उलझनें बहुत है जिंदगी में, मगर फिर भी कुछ तो बात है जिंदगी में, माना की उलझनें बहुत है जिंदगी में, मगर फिर भी कुछ तो बात है जिंदगी में,
घर में टूटी चारपाई, मरम्मत होने वाली है टूटी चारपाई पर बूढ़ी, किस्मत सोने वाली है घर में टूटी चारपाई, मरम्मत होने वाली है टूटी चारपाई पर बूढ़ी, किस्मत सोने वाल...
मगर क्यों कोई परवाह नज़र नहीं आती पीछे भंवर हैं और किनारे भी करीब हैं मगर क्यों कोई परवाह नज़र नहीं आती पीछे भंवर हैं और किनारे भी करीब हैं
कभी मां की ममता प्यारी और न्यारी, फूलों ने छुपी खुशबू सी भीनी भीनी, कभी मां की ममता प्यारी और न्यारी, फूलों ने छुपी खुशबू सी भीनी भीनी,
आसमां को दिखाने अब अपनी रात करना चाहूं। आसमां को दिखाने अब अपनी रात करना चाहूं।
मजबूर हूँ थोड़ा मगर मैं मगरूर नहीं हूँ। मजबूर हूँ थोड़ा मगर मैं मगरूर नहीं हूँ।
वीरान आंगन को निहारता हूँ, रंग भरे थे जो तूने आंगन में। वीरान आंगन को निहारता हूँ, रंग भरे थे जो तूने आंगन में।
डालो फूट और और दुकान लगाओ दुकान लगाओ ... डालो फूट और और दुकान लगाओ ...
परंतु कुछ दर्द वक्त के साथ हमेशा के लिए हो जाते है परंतु कुछ दर्द वक्त के साथ हमेशा के लिए हो जाते है
जब मैं अपनी नम आंखों को सहेजते हुए लंबी सांस लेता हूँ जब मैं अपनी नम आंखों को सहेजते हुए लंबी सांस लेता हूँ
ये सुकूं भी मेरा ऐसा बेरहम हो गया है, आंखों से ख्वाबों को उड़ते हुए देखा था, ये सुकूं भी मेरा ऐसा बेरहम हो गया है, आंखों से ख्वाबों को उड़ते हुए देखा था,
मेरी अलसाई निगाहों में, तूने सतरंगी सपने सजा दिए l मेरी अलसाई निगाहों में, तूने सतरंगी सपने सजा दिए l
जब ये दिल सिर्फ तेरे लिए तड़पता था अब तो इस जालिम ने भी तड़पना छोड़ दिया है। जब ये दिल सिर्फ तेरे लिए तड़पता था अब तो इस जालिम ने भी तड़पना छोड़ दिया है।
कौवा काँव काँव कै चीखै, हमरे घर की क्यारी मा । तब हम यूं जानी की कौनौ, आवै की तैयारी कौवा काँव काँव कै चीखै, हमरे घर की क्यारी मा । तब हम यूं जानी की कौनौ, आवै क...
मुझे ही कुछ करना होगा कुछ को अब साबित करना ही होगा मुझे ही कुछ करना होगा कुछ को अब साबित करना ही होगा
खुशियों को पाने की कोई चाह थी, या बस, गमों से बचने की बेचैनी सी, खुशियों को पाने की कोई चाह थी, या बस, गमों से बचने की बेचैनी सी,
इसलिए वो अपना कर्म ख़ूब अच्छी तरह से निभा सकते हैं।। इसलिए वो अपना कर्म ख़ूब अच्छी तरह से निभा सकते हैं।।