STORYMIRROR

Neeraj pal

Abstract

4  

Neeraj pal

Abstract

गज़ल।

गज़ल।

1 min
421

तेरे दरबार में आना तो मेरा काम है।

मेरी बिगड़ी किस्मत संवारना तो तेरा काम है।।


जिसका कोई नहीं दुनिया में रहा बाकी।

उनको सीने से लगाना तो तेरा काम है।।


सब कुछ छोड़ तेरे दामन को जिसने पकड़ा।

उसको अपना बनाना तो तेरा काम है।।


बैठे हैं तेरी रूहानी सूरत की आस लिए।

जलवा गिरी दिखाना तो तेरा काम है।।


आए थे इस मकसद से कि तुम को अपना बनाऊँ

"नीरज" को चरणों में रखना तो तेरा काम है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract