गज़ल।
गज़ल।
मैया तेरे आंचल तले सोने को जी चाहता है।
अपनी बिगड़ी दशा सुनाने को जी चाहता है।।
मिले जो ममतामई मोहब्बत का दरिया।
उस में डूब जाने को जी चाहता है।।
अब न चाह है दौलत-ए-दुनिया की मुझे।
बेगराज उसे लुटाने को जी चाहता है।।
पिला दे अमृतमई बूँदों को फिर से मैया।
कि अबोध बालक बनने को जी चाहता है।।
मत ठुकराना अपने इस कपूत बालक को।
"नीरज" तो तुम में समाने को जी चाहता है।।