"गुरुजनों की सीरत में"
"गुरुजनों की सीरत में"
गुरुजनों की सीरत में सरस्वती का आभास है
जीवन को प्रारंभ करें शुभ प्रभात है
दिनेश,आदित्य का तेज सा प्रकाश है
ज्ञान का संसार सदा अविनाश है
गुरुजनों के व्यक्तित्व में आशुतोष का वास है
अंधकार को दूर कर दीपक में जैसे नव ज्योति है
ज्ञान के गहरे सागर में चमकता हुआ मोती है
महेश सी सिद्धि है
कृष्णा की वाणी है
आज ज्ञान की कीमत पूरी दुनिया ने जानी है
शिष्य का सपना पूरा करने की ठानी है
गुरुजनों की चेतना में विद्या की मूरत है
चंद्रकांता की सूरत है
विकास की सीढ़ी का सहारा है
चमकते भविष्य का नजारा है
भगवान का दर्जा भी शिष्य ने गुरु को दिया है
दिन के अंत की सुकून से संध्या है