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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Inspirational Others

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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गुरु महिमा से

गुरु महिमा से

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मन की पीड़ा धो लेता हूँ, अन्तस को चमका लेता हूँ ।

पा करके आशीष तुम्हारा, गुरुवर मैं सुसता लेता हूँ ।।


स्वप्न सुनहरा जीवन अपना, कंचन मोती सा चमकीला,

इसी फेर में गुरु महिमा से, दुख भी गले लगा लेता हूँ ।


चंचल मन के लिए दिए थे, कितने ही उपचार गुरु ने,

आज भटकता हूँ मैं जब भी, उनको ही दुहरा लेता हूँ ।


चुपके चुपके रीत गए हैं, आडम्बर के शूल हृदय से,

लेकिन संस्कृति के फूलों से, जीवन को महका लेता हूँ ।


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