गुरु की सेवा।
गुरु की सेवा।
सबसे ऊंची प्रेम सगाई, वशीकरण मंत्र गुरु ने है बतलाई।
निष्काम भाव और निष्कपट प्रेम से, हृदय निर्मल करके दिखलाई।।
परोपकार बिन जीवन है ऐसा, बिन गुरु के निगुरा हो जैसा।
गुरु बिन जीवन नर्क समाना, जीने का तो सिर्फ है एक बहाना।।
जिसने सेवा अपने गुरु की कर ली, गुरु ने उसकी सब चिंता हर ली।
सुरक्षा कवच तुम उनको मानो, प्रभु से बढ़कर गुरु को जानो।।
आज्ञा पालन जो उनका करते, पल भर में सबके संकट हरते।
तीन लोक का भय न उसको, पूर्ण निष्ठा से जो सेवा हैं करते।।
मन मुख से गुरु मुख जो बनते, आत्म सुख की दौलत है मिलती।
मृत्यु का भय न उसको सताता, आशाओं की नित कलियां खिलती।।
राग छोड़ अनुराग उपजता, वीतराग पुरुष की जब शरण वह गहता।
अंतरंग साधना गुरु हैं बतलाते, काम, क्रोध, वासना दूर है भगाते।।
गुरु बिन भव निधि कोई न तरता, मोक्षधाम उन बिन न मिलता।
"नीरज" कर ले "गुरु की सेवा" जीवन सुगम- सरल है बनता।।