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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Romance Tragedy

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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Romance Tragedy

गुजरी है

गुजरी है

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आज चाँदनी सूरज से उधार लेकर गुजरी है

तेरे बिन मेरी जिंदगी हर वक्त बेकरार गुजरी है


नाम मैं तेरा सरेआम कर नही सकता

बस मेरी जिंदगी में तू हरबार गुजरी है


नाम अपना मैनें जोड़ दिया है तुझसे ऐसे

जैसे पृथ्वी से गुरूत्व की रेख गुजरी है


तन्हा गुजरी है और बड़ी दुस्वार गुजरी है 

तेरे ग़म की रात मेरे सीने से हर बार गुजरी है


वक़्त के कारवानों में लम्हों का साथ छूट गया 

ज़िन्दगी इन राहों से कितनी बे-इख़्तियार गुजरी है


रख दी है अपनी जान हथेली पे निकाल कर 

ये इश्क़ है जैसे गरदन से तलवार गुजरी है


बंद शीशे में कैद हो जैसे कोई धुएँ का सैलाब 

रात तेरी महफ़िल में कितनी बेक़रार गुजरी है


वो और दिन थे, खुशियों से खुशी मिलती थी हमें

कांटों से भर के दामन अब के बहार गुजरी है


ज़िगर में दम नहीं, करते हो मेरे जुनूँ का सौदा 

हम वो हैं, मौत भी जिससे लेकर उधार गुजरी है।


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