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Madhu Vashishta

Abstract Action

4.5  

Madhu Vashishta

Abstract Action

गुजारिश

गुजारिश

1 min
342


           

कभी कभी हार में भी जीत छुपी होती है।

अपनों से हारने पर कई बार जीत से भी ज्यादा खुशी होती है।

हार जाते हैं जो मान लेते हैं बिना कुछ किए हुए अपनी गलती भी।

प्रत्येक कटु सवाल का जवाब

जिनका होता है सिर्फ खामोशी।

खुद से भी ज्यादा परवाह करते हैं वे केवल रिश्तों की।

बचा लेते हैं रिश्ते अपनों से हार कर भी।

फिर भी जीत जाते हैं वह अपना सब कुछ वार कर।

कभी-कभी हार में भी जीत छुपी होती है।

लेकिन उस जीत की कीमत कभी आत्मसम्मान नहीं होती है।

जो अपनों को हराकर जीवन में खुशी पाता है।

निश्चित है एक दिन वह जरूर पछताता है।

वह जो तुम से हार कर भी खुश हो, ऐसा इंसान जीवन में फिर कभी नहीं मिल पाता है।

सिर्फ यही गुजारिश है तुमसे अपनों को कभी हारने मत देना।

कुछ समझ लेना कुछ समझा लेना।

ना जाने देना अपनों को मन से दूर कभी।



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