गरीबी
गरीबी
इस जीवन मे कोई ना होता है हमारा करीबी ।
इंसान को मजबूर करती है उसकी गरीबी ।।
इस स्थिति मे कोई ना थामे उसका हाथ ।
ऐसे व्यक्त मे अपने भी छोङ देते है साथ ।।
एक रोटी के लिए वह जीता है ।
जीते-जी मौत का जहर पीता है ।।
कभी-कभी उसे भूखा भी सोना पङता है ।
सब के सामने रोटी के लिए रोना पङता है ।।
कभी-कभी पानी पीकर भूख मिटाता है ।
तो कभी किसी से मांगकर के खाता है ।।
उसके पास कोई काम कोई रोजगार नही ।
वह अपना पूरा जीवन बीता लेता है कही ।।
सङको पर ही बना लेता है अपना घर ।
गरीबी मे ही जाता है बेचारा मर ।।