Deepti Sharma
Abstract
गरीबी की बस इतनी सी कहानी है,
हाथ में दबे दो मुट्ठी चून की हलकी सी,
आँच पे रोटी पकानी है।
सपने
मोहलत
दूर से सलाम क...
हकीकत
जज्बात
जिंदगी
एहसास
श्रमिक
बेटी
गरीबी
आज भी वे कविताएं अपनी गूँज लिए रसोई में रहती हैं जहाँ माँ कविता बनाया करती थी। आज भी वे कविताएं अपनी गूँज लिए रसोई में रहती हैं जहाँ माँ कविता ...
तमाशबीनी का अधिकार भी, मिलना चाहिए वैसे। तमाशबीनी का अधिकार भी, मिलना चाहिए वैसे।
पर यहाँ तुम्हारी ही तरह कई और लोग खड़े हैं पाषाण युग के तेज़ हथियार लिए उनमें और तुममे... पर यहाँ तुम्हारी ही तरह कई और लोग खड़े हैं पाषाण युग के तेज़ हथियार ल...
इस समय त्योहारों का मौसम चल रहा है पर साथ ही लोकतंत्र का भी। इस समय त्योहारों का मौसम चल रहा है पर साथ ही लोकतंत्र का भी।
माटी की सौंधी सुगंध का एहसास कराती हैं। माटी की सौंधी सुगंध का एहसास कराती हैं।
ए `प्राण` बुढापे का निरादर नहीं करना इक रोज़ हरिक शख्स को आता है बुढ़ापा। ए `प्राण` बुढापे का निरादर नहीं करना इक रोज़ हरिक शख्स को आता है बुढ़ापा।
नेह के दाने तलाशती उदास फुदकती। नेह के दाने तलाशती उदास फुदकती।
तमाम उम्र मेरा दम उसी धूँए मे घुटा- वो इक चिराग था मैने उसे बुझाया है। तमाम उम्र मेरा दम उसी धूँए मे घुटा- वो इक चिराग था मैने उसे बुझाया है।
अपनो का साथ ले जाता था दुखों को बहाके।।।।।।।। हवाओं में गूंजते बुआ और चाची के ठहाके अपनो का साथ ले जाता था दुखों को बहाके।।।।।।।। हवाओं में गूंजते बुआ और चाची के ठ...
नदी-सा बहना सीखो कहते चतुर सयाने, पर बहाव में ही अस्तित्व कोई यह न माने... नदी-सा बहना सीखो कहते चतुर सयाने, पर बहाव में ही अस्तित्व कोई यह न माने...
देखो कैसे झरता है हरसिंगार फूलता है मोगरा फिर-फिर हर बार देखो कैसे झरता है हरसिंगार फूलता है मोगरा फिर-फिर हर बार
तुम! 'तुम' होकर कब लौटोगे...? तुम! 'तुम' होकर कब लौटोगे...?
क्यों की न हम कभी सृष्टि को कुछ दे पाये हैं, और न कभी कुछ दे पायेंगे और न कभी कुछ दे पायेंगे ! क्यों की न हम कभी सृष्टि को कुछ दे पाये हैं, और न कभी कुछ दे पायेंगे और न कभी...
इक अनोखी चुभन होगी, किसी की जिंदगी को जानकर आंसू भी आ जाएंगे आँखों में, उस दर्द को अपना मानकर । इक अनोखी चुभन होगी, किसी की जिंदगी को जानकर आंसू भी आ जाएंगे आँखों में, उस दर्द ...
फिर मत कहना, समय रहते ... मैंने कहा नहीं ! फिर मत कहना, समय रहते ... मैंने कहा नहीं !
हौसलों की उड़ान में,इरादों को मकसद बनाकर तो देखो। प्रगति पथ पर तुम, हिम्मत से कदम उठाकर तो देखो। ... हौसलों की उड़ान में,इरादों को मकसद बनाकर तो देखो। प्रगति पथ पर तुम, हिम्मत से ...
ख़्वाबों की बैसाखी से ही यहाँ तक आ पाया हूँ वरना दुनिया ने तो पहले ही अपाहिज कर रखा था। ख़्वाबों की बैसाखी से ही यहाँ तक आ पाया हूँ वरना दुनिया ने तो पहले ही अपाहिज ...
हमसे बढ़कर दूसरा कोई ज्ञानी नहीं होता हो ही नहीं सकता ...। हमसे बढ़कर दूसरा कोई ज्ञानी नहीं होता हो ही नहीं सकता ...।
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आज लगता है जैसे वो बिखरे मोती तराशा हुआ... आज लगता है जैसे वो बिखरे मोती तराशा हुआ...