जज्बात
जज्बात
खत्म हुआ सिलसिला जज्बातों का,
टूट रही उम्मीदों की डोर है !
छमाछम बारिश में भी,
गहरे तूफानों का शोर है !
बर्दाश्त नहीं अब हल्की सी भी आहट,
किसी भी जाने अनजाने शख्स की !
क्योंकि अब हल्की आहटों से ही
शुरु होता चीखों का नया दौर है !
खत्म हुआ सिलसिला जज्बातों का,
टूट रही उम्मीदों की डोर है !
छमाछम बारिश में भी,
गहरे तूफानों का शोर है !
बर्दाश्त नहीं अब हल्की सी भी आहट,
किसी भी जाने अनजाने शख्स की !
क्योंकि अब हल्की आहटों से ही
शुरु होता चीखों का नया दौर है !