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Om Prakash Fulara

Tragedy

3  

Om Prakash Fulara

Tragedy

ग़रीब

ग़रीब

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देखो

वह आज 

फिर मचल रहा

उस खिलौने के लिए

जिसे देखा था उसने

किसी अमीर के हाथ में

वह क्या जाने

अमीरी और गरीबी का अंतर

उसकी नजर में तो

वह भी बच्चा है

उसी की तरह।


तड़प रहा है वह

रोटी के टुकड़े के लिए

हाथ में देख 

उसके ब्रेड का टुकड़ा

वो क्या जाने

रोटी और ब्रेड का फर्क

उसने तो

देखा है केवल

सुखी रोटी का टुकड़ा।


उसे तो बस भूख है

नहीं है समझ

नहीं आता अंतर करना

क्योंकि

उसकी भावनाएं

निश्छल हैं

कोमल हैं।


ग़रीब तो बना दिया

हमने उसे

जन्म से ही

वरना वह तो

अमीर है

उसके पास है

कुबेर के खज़ाने सा

प्रेम रूपी

अथाह धन

जो कभी खत्म

नहीं हो सकता।



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