गृहिणियों के घेरे में
गृहिणियों के घेरे में
एक गृहिणी का कार्य होता घर की देखभाल
उसकी सारी गति विधियॉं घर तक ही सीमित,
चित्र में मूढ़े पर बैठी लाल सलवार सूट में लड़की
उसके पीछे उसके केश संवारती ज़मीन पर बैठी प्रौढ़ा
प्रौढ़ा हरी पोशाक में गुलाबी चुनरी ओढे़ हुए
अपने सफ़ेद बालों को ढके ज़मीन पर ही बैठी।
उसके पीछे छोटी सी फूस की झोंपड़ी दिखती है
लगता है कि उसमें काफ़ी जगह नहीं सबके लिये,
काम झोंपड़ी से बाहर ही मैदान में घास पर हो रहे
एक औरत उन्नाबी रंग की धोती पहने खड़ी है,
एक उदास सी वृद्धा ज़मीन पर ही पास में बैठी हुई है
जो सफ़ेद सी ओढ़नी और हल्की नीली सलवार में है।
पास में छोटी लड़की हल्के लाल रंग का कुर्ता और
सफ़ेद पाजामा पहने खड़ी हुई कुछ कर रही है,
उसके पास ही काले रंग का श्वान पास खड़ा है
लगता है कि बाहर खेलने के लिये कुछ नहीं है,
स्त्रियों के इन कार्यकलापों के बीच कोई नर नहीं है
पुरुष की कोई भी उपस्थिति या सहयोग नहीं है।
दूर सफ़ेद धोती पहने सिर पर घड़ा लिए हुए
पानी भरने के लिये जाती दो नारी आकृतियॉं,
दूरी पर पानी का आभास देता हल्का हरा रंग
लगता है कोई तालाब है जहॉं से पानी लाते हैं,
दूर कड़ी धूप में भी सिर पर मिट्टी का घड़ा लिये
पानी ले जाती हुई दो स्त्रियॉं तीन बच्चों सहित।
स्त्रियों के कड़े परिश्रम,लाचारी, अकेलेपन का
सजीव चित्रण चित्र में अमृता शेरगिल ने किया है,
अमृता शेरगिल एक क्रान्तिकारी चित्रकार हैं
ये हंगेरियन भारतीय मूल की मशहूर चित्रकार हैं,
इनका जन्म बुडापेस्ट हंगरी में 1914 में हुआ था
विदेश में जन्मीं पली बढ़ीं और शिक्षा हासिल की।
आठ वर्ष की उम्र से इन्होंने पेंटिंग करना शुरू किया
शिमला समरहिल में कला स्टूडियो की स्थापना की,
इनकी पेंटिंग लाखों करोड़ों रुपयों तक में बिकती है,
1941 में महज़ 28 वर्ष की उम्र में इनका निधन हुआ,
एक भारतीय सर्वे में इन्हें 1976-79 में देश के
नौ सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों में शामिल किया गया है।
अमृता शेरगिल पश्चिमी कलाकारों से प्रभावित थीं
अजन्ता मुग़ल राजपूत चित्रकला से भी प्रभावित थीं,
तेल माध्यम से चित्रण किया,कुछ पुस्तकें भी लिखीं
सात वर्षों के दौरान कलाकृतियों का निर्माण किया
इनकी अमूल्य पेंटिंग्स को धरोहर की तरह सहेजकर
दिल्ली की नेशनल आर्ट गैलरी में रखा गया है।