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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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गलतफहमी।

गलतफहमी।

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इस गलतफहमी में मत रहना की मां के चरणों में हम आए हैं,

यह तो उनकी ही रिजा थी जो राजी पर आए हैं।


तुम भी नहा लो हो रही मां की वत्सलताकी बरखा,

लाखों ही तर गए इसमें जो खुशी-खुशी नहाए हुए हैं।


इस दरबार में कबूल होगी उनकी ही अर्जी,

जो श्रद्धा पुष्प भेंट करने हेतु आए हैं।


करते तो सब ही तुम को याद अपने अपने ढंग से,

पूरी करती हो तुम उनकी जो रो कर आए हुए हैं।


यह तो कटु सत्य है कि रहता है वरद हस्त सब पर,

दुखों की धूप में भी मां की रहमत के साए हैं।


मत करना कोई ऐसा काम जिसमें लगे लांछन उन पर,

सबसे करना इतनी मोहब्बत की वे सब में समाए हुए हैं।


उनके साए में जो पहुंचता वह मस्त झूमता फिरता है,

जो जामें- इश्क उस महफिल में मां ने पिलाए हैं।


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