ग़लती
ग़लती
माना कि ग़लती हुई बहुत बड़ी मुझसे
जो उससे मेरा सुबह का झगड़ा हुआ
चढ़ गयी दिमाग़ पर अपने नखरे
के चलते
कहें क्या हम कल जो लफड़ा हुआ..!
शाम का भुला गर सुबह घर आये
समझ लो वह दोषी है !
मगर हम तो सुबह निकले जब
लड़-झगड़ कर
सूरज ढलते ही घर आ गये..!
लाख मनाया उसे हमने पर उसने
एक ना सुनी मेरी
भूलकर बैठी है इस कदर अब
कौन समझाये उसे..!

