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Deepak Sharma

Tragedy

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Deepak Sharma

Tragedy

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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ताजपोशी का नशा क्या चढ़ गया है आप पर 

आँख भीगी क्यूँ नहीं बेटी के इस संताप पर 


न्याय का ठेका लिए फिरते दिखे थे आप तो 

फिर सज़ा फाँसी की क्यूँ मिलती नहीं है पाप पर 


आप लांछन समझो इसको या इसे ताना कहो 

बेटियाँ सहमी डरीं सी हैं हरिक पदचाप पर


क्या इसी के वास्ते लाए थे चुनकर आपको 

आप जागेंगे भला कितनी बलि की चाप पर 


अपने घर में भी नहीं जब बेटियाँ महफ़ूज़ हैं

अब बचा कर कैसे रखेंगे इन्हें माँ बाप, पर 


अब क़सम ख़ाई ये जाए ना बना क़ानून तो 

देश की आवाम लेगी वहशी गर्दन, नाप, पर 


हर दरिंदे को ये डर रहना हमेशा चाहिए 

चौक पे ‘दीपक’ मिलेगी फाँसी ऐसे पाप पर।


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