गजल
गजल
सांसों का संयोजन कर,
मन काशी वृंदावन कर।
पतझड़ में बादल बन जा,
खुद को ऐसा सावन कर।
गीत गजल सरगम हो जा,
पायल वाली रुन झुन कर।
मन में मैल रहे ना कोई
अपने मन को दर्पण कर ।
निर्मल पावन गंगाजल सा ,
'पूनम' अपना जीवन कर।
सांसों का संयोजन कर,
मन काशी वृंदावन कर।
पतझड़ में बादल बन जा,
खुद को ऐसा सावन कर।
गीत गजल सरगम हो जा,
पायल वाली रुन झुन कर।
मन में मैल रहे ना कोई
अपने मन को दर्पण कर ।
निर्मल पावन गंगाजल सा ,
'पूनम' अपना जीवन कर।