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Kashif Ahsan

Romance Inspirational

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Kashif Ahsan

Romance Inspirational

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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गर्द उड़ती है फिर ग़ुबार के साथ 

दर्द जब भी मिला है प्यार के साथ 


 हो गया तू जुदा नहीं कुछ ग़म 

कौन रहता है अश्क बार के साथ 


रात  भर ख्वाब में दिखा सहरा 

दिन गुज़ारा था आबशार के साथ


इस लिए  ख़ार हो  गए दुश्मन 

मुस्कुराया था मैं बहार के साथ 


 हट  गए दोस्त यार और अहबाब 

कौन रुकता है हाल ए ज़ार के साथ 


एक तू है कि जीत कर ना खुश 

एक मैं खुश हूँ अपनी हार के साथ 


एक शा'इर ही जान सकता है 

क्या गुज़रती है ग़म गुसार के साथ 


दिल पे सौ तीर लग रहे थे जब 

जा रहा था वो अपने यार के साथ 


कौन था खुशनसीब जो काशिफ 

ले गया चैंन भी क़रार के साथ।


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