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Kashif Ahsan

Others

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Kashif Ahsan

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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बिछड़ तो जाएगा लेकिन ख़फा नहीं होगा 

वो  एक शख्स जो मुझसे जुदा नहीं होगा 


बहुत गिराया है ख़ुद को किसी की उल्फत मे 

मगर ये  जुर्म भी अब की दफा नहीं होगा 


तुम्हारे बाद भी ज़िन्दा हूँ और ख़ुश भी हूँ 

तुम्ही बताओ कि अब मुझसे क्या नहीं होगा


किसी की याद ने शायर बना दिया मुझको 

ये ऐसा क़र्ज़  जो मुझसे अदा नहीं होगा 


चला गया जो मुझे छोड़ के किसी के लिए 

तमाम उम्र अब उससे गिला नहीं होगा 


हाँ दिल तो रोएगा तड़पेगा बिल बिलाएगा 

मगर ये ग़म मे तिरे मुब्तला नहीं होगा 


इसी वजह से तो दुश्मन अज़ीज़ हैं काशिफ 

हमारी पीठ मे अब के छुरा नहीं होगा।


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