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Alok Singh

Romance

3  

Alok Singh

Romance

गज़ल

गज़ल

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इश्क की दास्तां इश्क को  सुनाओ यारों

हम तो मदहोश हैं कोई होश में लाओ यारों


हर फूल महकता है कहता है हर भौंरा

हर फूल की इज्ज़त है उसको बचाओ यारों

होठों की लिखावट को होठ ही समझें

दिल की लिखावट तो हमको दिखाओ यारों


सीने में बसे हो कभी धड़कन में बसे हो

तुम अपनी लकीरों में भी मुझको बसाओ यारों


ज़र्रा ज़र्रा चहकता है जब मिलता हूँ तुमसे

तुम भी कभी मुझसे मिलने तो आओ यारों


कह सकता तो मैं भी हूँ कि मुझे प्यार नहीं है

बस तुम अपनी तबीयत को मुझसे छुपाओ यारो।



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