गजल – श्वेत
गजल – श्वेत
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दिल में मेरे अहसास को सजाया करो
मेरी बाते अपने लहजे मैं बताया करो
खुशी में शायद ना शामिल होंगे कभी
मेरे दोस्त, गम मैं जरूर बुलाया करो
तेरे हर एक रूप को देखना चाहते है
कभी कभी तो मुझ पे भी चिल्लाया करो
बुरी आदत लगाई हर दफा लाड करके
दुनिया नहीं अच्छी कभी तो सताया करो
तुम मेरे हो ये जिद नहीं करते है मगर
हम तुम्हारे है हक से हक जताया करो
खुद को मिटा कर तुम सा बन जायेंगे
"श्वेत" में चाहे कोई भी रंग मिलाया करो।